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वो समय जब निजी स्वार्थ के लिए हुई थी लोकतंत्र की हत्या !

देश के आपातकाल के दौर को लेकर हर किसी की अपनी राय हो सकती है, आपातकाल क्यों लगा संभवतः इसके बारे में हर किसी को बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। कई बार सियासी फलकों में ये सवाल गूंजते हैं कि क्या इमरजेंसी इंदिरा गांधी ने व्यक्तिगत असंतोष के कारण लगाई थी ? ये सवाल गूंजने भी चाहिए क्योंकि लोकतंत्र में अगर सवाल न पूछे जाएं तो ये भी एक आपातकाल का ही दौर हो सकता है। कैसे लिखी गई आपातकाल की पटकथा ? दरअसल आपातकाल की सारी कहानी की शुरू हुई साल 1971 में जब इंदिरा गांधी ने अपनी पैतृक सीट रायबरेली से अपने प्रतिद्वंदी राजनारायण सिंह को बड़ी आसानी से हरा दिया, और कांग्रेस देश की सत्ता में एक बार फिर काबिज़ हुई इसके चार साल बाद अचानक राजनारायण सिंह को याद आया कि वे गलत तरीके से हारे हैं और उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। राजनारायण सिंह की दलील थी कि इंदिरा गांधी गलत तरीके से चुनाव जीती इसके अलावा उन्होंने तय बजट से ज्यादा देश का पैसा खर्च किया है और वोटर्स को पैसे के दम पर खरीदा है।  अब क्योंकि ये आरोप था तत्कालीन प्रधानमंत्री पर इसलिए बवाल होना लाजमी था। इलाहाबाद हाईकोर्...